ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते कुप्रभाव से धरती पिघलने लगी है । |
ग्लोबल वार्मिंग – एक ऐसा विषय जिसने पूरी दुनिया
को अपने चपेट में ले लिया है। अगर आप अभी तक ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावो से
अनजान है तो इसे ऐसे समझिये की ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है
कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है, दुनिया भर के वैज्ञानिकों का कहना है कि
आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेगी और मौसम का मिज़ाज पूरी तरह बदल जायेगा, ऐसा इसलिए
होगा की मानव आधुनिकीकरण के आड़ में लगातार प्रकृति से छेडछाड़ कर रहा है। ग्लोबल
वार्मिंग दुनिया की कितनी बड़ी समस्या है, यह बात एक आम आदमी समझ नहीं पाता है। उसे ये शब्द टेक्निकल लगता है।
इसलिये वह इसकी तह तक जाने की बजाय अपने रोजी-रोटी में व्यस्त रहता है, और इसे एक
वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया गया है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि फिलहाल
संसार को इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन ये विषय इतना भयानक है की समाज के सभी
बुद्धिजीवीयो को सोचने पर मजबुर कर दिया है। अभी तक भारत में ग्लोबल वार्मिंग शब्द
समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुँच पाया है, लेकिन विज्ञान की दुनिया की बात करें
तो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं। ये 21वी शताब्दी का सबसे
बड़ा खतरा बनकर उभरने वाला है। यह खतरा तृतीय विश्वयुद्ध या किसी क्षुद्रग्रह के
पृथ्वी से टकराने से भी बड़ा माना जा रहा है। आज मोटिवेशनल स्पीकर एवं लाइफ कोच
श्री राजेश अग्रवाल जी ग्लोबल वार्मिंग पर अपना विचार साझा कर रहे है, आइये जानते
है इस विषय पर उनका क्या कहना है । कई बार यह मेरे दिमाग में आता है कि अभी तक जो
ग्रह मानव से मुक्त है, और पूरी तरह से अपने प्राकृतिक स्वरूप में है, यानी की जैसी
बनायीं गयी थी, वैसी ही है, क्योंकि वहां अभी तक आधुनिक मानव नही पहुंचा है, इसलिए
कोई छेड़छाड़ नही हो पाया है, वो कभी ग्लोबल वार्मिंग का सामना नहीं करेगा। ये
ग्लोबल वार्मिंग हमारे द्वारा धरती पर किये गये अत्याचारों का नतीजा है । कई
वैज्ञानिक मेरे विचारो से असहमत हो सकते हैं, क्योंकि मेरे पास कोई वैज्ञानिक सबूत
नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर कभी प्रकृति की अदालत लगेगी, तो पता नहीं कि हम मनाव किस तरह की सजा के
हकदार होंगे। हमें ये भी नही पता कि जब कोई मिसाइल ओजोन परत में जाता है तो किस
प्रकार हमे प्रभावित करता है। आज दुनिया वैश्विक शांति की बात तो करती है लेकिन साथ
में नित्य नए मिसाइल बनाते जा रहे है। हम प्रतिदिन इस रफ़्तार से नए नए मिसाइल
बनाते जा रहे है की अब वह दिन दूर नही जब हम खुद ही पूरी दुनिया को बर्बाद कर
देंगे। ये परिस्थिति वास्तव में बहुत ही भयावह है और अब विश्व के सभी राष्ट्रों को
एकसाथ मिलकर इस धरती माता को बचाने के लिए सभी विनाशकारी हथियारों को त्याग देना
चाहिए। मै उस भयानक परिवेश के कल्पना मात्र से सिहर उठता हूँ, क्योंकि वो परिस्थिती
इतनी विकराल होगी, की उस समय कुछ भी सोचने का वक्त हमारे पास नही होगा, अतः हमे
अभी और आज से ही इस प्रकृति को बचाने के हर जरुरी प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग
को रोकने का कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे कम
किया जा सकता है। हमें अपने धरती माता को सही मायनों में ‘ग्रीन’ बनाना होगा। हम अपने आस-पास के वातावरण
को प्रदूषण से जितना मुक्त रखेंगे, इस पृथ्वी को बचाने में उतनी ही बड़ी भूमिका निभाएंगे। मै आज आप सबसे
एक विनती करना चाहता हूँ की आपके घर में जब भी कोई मंगल कार्य हो तो उसकी निशानी
एक पेड़ लगाकर संजोये, अगर आप शहर में रहते है और आपके पास पेड़ लगाने के लिए जमीन
नही है तो आप ये सुनिश्चित करे की आपके लिए आपका प्रतिनिधि आपके गाँव या जहां भी आपको
सुविधा हो वहां एक पेड़ लगाये, और साथ में आप उस पेड़ के समुचित विकास की भी
व्यवस्था करे, क्योंकि ये बड़े बड़े काम्प्लेक्स और फ्लैट्स हमारे किसी काम नही
आयेंगे जिसके सौन्दर्य में हम लाखो करोड़ो खर्च कर देते है । हमे ये समझना होगा की
हमारे घर का सौन्दर्य महंगे टाइल्स और कालीन से नही बल्कि हरे भरे पेड़ और स्वच्छ
प्रकृति से है ।
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