डी एम आई टी क्या है

सर्वप्रथम १६ वी शताब्दी में चीन में D.M.I.T के बारे में जानकारी मिलती हैं और उसके बाद पर बहुत सारी खोजें, बहुत से देशों जैसे अमेरिका, रूस, इटली, चीन एवं मलेशिया द्वारा क़ी गयीं हैं। सन 1983 में डॉ हॉवर्ड गार्डनर ने D.M.I.T को एक नया आयाम दिया। 

 उनके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में 8 प्रकार की पैदायशी प्रतिभाएं अलग अलग मात्रा में पाई जाती हैं। प्रत्येक व्यक्ति की बोधिक प्रतिभाएं अलग अलग प्रकार की होती हैं तथा हम उनको बड़ा भी सकते हैं। 

 यह पैदायशी प्रतिभाएं दिमाग के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती हैं और यह एकसाथ या अलग अलग काम कर सकती हैं।

 सैंकड़ों स्कूल इस पद्धति को अपनाकर पदाने के तरीके में बदलाव कर चुके हैं। लेकिन अभी भी हजारों स्कूल उसी पुरानी पद्धति को अपना रहे हैं।

 गार्डनर के अनुसार शिक्षकों को, विद्यार्थियों की मानसिक क्षमतायों के अनुसार  पढाना चाहिए जिससे की वो अपनी जिंदगी में अच्छा कर सकें।

इस वैज्ञानिक परिक्षण के मदद से किसी भी बच्चे की छुपे हुए पहलुओं की जानकारी प्राप्त करके, उसमें समय रहते सम्भावित बदलाव लाया जा सकता हैं, उसका स्वभाव, व्यवहार, पठन की रूचि, याद करने की क्षमता आदि कई पह्लुयों को जाना जा सकता है। इस जानकारी का उपयोग करके अपने बच्चे के लक्ष्य प्राप्ति में उपयुक्त कार्यवाही कर सकते हैं। 

बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है तब १३-२१ सप्ताह के बीच उसे मष्तिष्क का निर्माण होता है तथा ठीक उसी समय उसके फिंगर प्रिंट्स भी बन रहे होते हैं। कई वैज्ञानिक खोजों के द्वारा यह साबित हो चूका हैं कि फिंगर प्रिंट्स एव दिमाग में परस्पर सम्बन्ध है। इनकी सहायता से किसी भी व्यक्ति क़ी जन्मजात प्रतिभा  को जाना जा सकता है। 

हमें अपना या अपने बच्चो का  डी.एम.आई. टी. (D.M.I.T)  क्यों करवाना चाहिए?

क्या आप जानते हैं की भारत में प्रतिवर्ष 12000 से अधिक स्टूडेंट्स परीक्षा सम्बंधित तनाव के कारण आत्महत्या करते हैं ? 

क्या आप जानते हैं की 5  साल का बच्चा भी तनाव का शिकार हो सकता है?

और आप सोचते हैं की यह आपके बच्चे के साथ नहीं हो सकता ?  ठीक ? क्योंकि आप अपने बच्चे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, और अपने बच्चों की सभी जरूरतों के बारे में पूर्णतया समझते हैं।तो क्या आप कुछ सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं ? अपने बच्चे के बारे में एक पेन और कागज लीजिये और।
अपने जवाब लिखिए………
  1. आपका बच्चा अच्छी तरह से कैसे सीखता है? व्यावहारिक ,देखकर या ; सुनकर“?
  2. आपका बच्चा किस काम  में कुशल है?  काम की योजना में या काम करने में।?
  3. क्या आपका बच्चा “तार्किक” है या “रचनात्मक”?
  4. क्या आपके बच्चे में कोई छुपी हुई विशेष प्रतिभा है, जो आप नहीं पहचानते ?
  5. क्या आपका बच्चा उससे अधिक बुद्धिमान है जितना आप उसे समझते हैं?
  6. क्या आप अपने बच्चे की 8  प्रकार की बुधिम्तायों में से सबसे ज्यादा प्रभावशाली बुधिमता के बारे में जानते हैं?
  7. क्या आप वास्तव में रूचि , और प्रतिभा में अंतर समझते हैं?

क्या आपको उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं ? तो अभी कॉल करे 9205505259  पर और अपने बच्चे की छुपी हुई क्षमता की जानकारी आसानी से प्राप्त करे 

D.M.I.T  की मदद से आप अपने बच्चे की जन्मजात प्रतिभाएं, कैरियर चयन और मस्तिष्क के विकास के कई पहलूओं के बारे में जान सकते हैं।

👉 क्या आपने कभी स्वयं से यह प्रश्न पूछा है क्यों? एक जैसी उम्र….एक ही क्लास…वही टीचर….वही किताबें….वही पढाने का तरीका…और परिणाम अलग-अलग। .... क्यों ?

किसी को प्रतिभावान बनाया नहीं जा सकता, लेकिन प्रतिभाओं को किसी भी इंसान के अंदर से खोज कर निकाला जा सकता है। हर कोई प्रतिभाशाली है, जब वह सही स्थिति (दिशा) में हैं। प्रतिभा की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग प्रकार से होती है। और फिर दुविधा का सामना होता है ………।
ज़रा सोचिये!!!।
लता मंगेशकर को गाने के स्थान पर डांस सीखने को कहा जाता तो ??
थॉमस एडिसन, प्रख्यात वैज्ञानिक को क्रिकेट खेलने के लिए कहा जाता तो ?
सचिन तेंदुलकर को पढाई पूरी करने के बाद जॉब करने के लिए कहा जाता तो ?
तो क्या वोह आज उस स्थान पर होते जहाँ वह पहुँच पाए ?
 आज के इस गलाकाट प्रतियोगिता में, यदि आपके बच्चे को बेहतर परिणाम लाना है तो उसे अपनी क्षमता का अधिकतम प्रयोग करना होगा, आपके बच्चे की प्रदर्शन क्षमता को बढाने का एकमात्र उपाय हैं उसके हुनर, कौशल को पहचानें और उसे उसके क्षेत्र में ही बढाएं।

तो फिर आपको क्या करना है?

अभी निर्णय लीजिये, और अपने बच्चे कि जन्मजात प्रतिभायों को एक नयी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक द्वारा पहचानिये, लाखो माता-पिता इस तकनीक की मदद से अपने बच्चो का भविष्य संवार रहे है 

डी.एम.आई.टेस्ट की आवश्यकता  बच्चों के लिए

👉 अप्रासंगिक पाठ्यक्रम और कक्षाओं के ऊपर व्यर्थ समय, पैसा, प्रयास को कम करें

👉  माता पिता और बच्चों के बीच संबंधों में सुधार और बच्चों के आत्मविश्वास का विकास।

👉   बच्चो के उसके लिए सबसे अच्छा सीखने की शैली को पहचानें।

👉   उसकी / उसके जन्मजात प्रतिभा और कमजोरियों को पहचानें।

डी.एम.आई .टेस्ट की आवश्यकता  बड़ों के लिए

👉 उपयुक्त आत्म विकास कार्यक्रमों में बुद्धिमानी से निवेश।

👉 अपनी EQ, IQ, AQ, CQ  का आकलन।

👉 अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने सपनों को जीने के लिए आगे की योजना।

👉 अपनी खुद की क्षमताओं को पहचानें और सही कैरियर चुनें।

👉 अपनी मूल दक्षताओं को पहचानें और उनका  विकास करें।

👉  सबसे उपयुक्त सीखने और नेतृत्व शैली को पहचानें।

 डी.एम.आई. टेस्ट की आवश्यकता  कम्पनीज के लिए

👉 अपने सभी कर्मचारियों कि क्षमता का अधिकतम प्रयोग करें।

👉 बेहतर प्रदर्शन के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या को पुनर्संगठित करें।

👉 मानव संसाधन प्रशिक्षण और विकास।

👉 अपने; प्रबंधकों के प्रदर्शन और मूल दक्षताओं का मूल्यांकन।

👉 सही काम के लिए सही व्यक्ति का पता लगाएं।।

👉 पूर्व रोजगार स्क्रीनिंग।।

👉 अधिक क्षमता वाले कर्मचारियों पर विश्वास करें।

👉 कर्मचारियों का चयन क्षमता और अधिकतम दक्षता के आधार पर करें।।

हम शैक्षणिक क्षेत्र से  पेशेवर विशेषज्ञों की एक टीम हैं, जो एक अत्याधुनिक तकनीक की मदद से विद्यार्थियों को अपनी आंतरिक क्षमता  और प्रतिभा के आधार पर विभिन्न कैरियर विकल्पों में से अपने लिए सर्वाधिक उपयुक्त क्षेत्र  चुनने में मदद करते हैं ।  यह विभिन्न देशों के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों के समूह द्वारा विकसित एक अद्वितीय  एवं क्रांतिकारी तकनीक है । इस क्रांतिकारी  तकनीक की मदद से ही पश्चिमी देश का हर बच्चा प्रतिभावान है । भारत और अन्य पश्चिमी   देशों के बच्चों के सोंच में जो सबसे बड़ा अंतर है, वो यह है कि विदेशों में बच्चो को नर्सरी में दाखिले के समय ही यह जानकारी मिल जाती है कि उनकी क्षमता क्या है, और वह उस क्षमता का सर्वाधिक प्रयोग किस क्षेत्र में कर सकते है । जबकि हमारे यहाँ बच्चे उचित मार्गदर्शन के अभाव में ग्रेजुएशन के बाद भी यह सोचने में सक्षम नही होते है कि उनकी आन्तरिक क्षमता क्या है, और वह किस क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का  सर्वश्रेष्ठ  प्रदर्शन कर सकते हैं । मार्गदर्शन के अभाव में वह एक साथ कई  क्षेत्रो में थोडा -थोडा प्रयास करते है, लेकिन अपेक्षित सफलता नही मिलने से अवसादग्रस्त हो जाते है, जिससे उनका मनोबल कमजोर होता चला जाता है । इस प्रकार प्रतिभावान बच्चे भी असफल होकर अवसादग्रस्त जीवन जीने को मजबूर हो जाते है । आज पुरे भारतवर्ष में लगभग १५००० बच्चे प्रतिवर्ष आत्महत्या करते है, और इसका एकमात्र कारण है  बच्चो से उनकी क्षमता के विपरीत परिणाम की अपेक्षा करना, अक्सर लोग यह भूल जाते है की हर बच्चा प्रतिभाशाली है जब वह सही दिशा में है । अगर आप किसी मछली को पेड़ पर चढने, और बंदर को पानी में तैरने को बोलेंगे को उन दोनों को यही लगेगा की वो बहुत बड़ा वेबकुफ़ है जो ये  नही कर पाया, जबकि वास्तविकता यह है  की दोनों अपने अपने क्षेत्र में माहिर है। हर बच्चा किसी ना किसी क्षेत्र में माहिर है, बस जरुरत है  उस छुपे हुए क्षेत्र को पहचानने की, और उसमे पूरी तन्मयता से आगे बढ़ने की । अभी तक हमारे पास इस समस्या का कोई समाधान नही था,लेकिन  अब एक अद्वितीय वैज्ञानिक तकनीक द्वारा इसका समाधान सम्भव है । यह  वैज्ञानिक तकनीक आपकी अँगुलियों के निशान से आपके मस्तिष्क में छुपी हुई अद्भुत क्षमताओ को उजागर करता है । अब तक यह वैज्ञानिक तकनीक केवल विदेशों और बड़े-बड़े शहरों तक ही सीमित था, लेकिन सौभाग्य  से यह तकनीक अब आपके शहर में भी उपलब्ध है ।  आपके पास कोई सवाल या सुझाव  है तो हमे अवश्य बताये हमारा  व्हाटसैप नम्बर है 9205505259 , हम आपके हर सवाल का जवाब यथाशीघ्र देंगे 

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