मनुष्य स्वयं में एक बेशकीमती संपदा है, एक ऐसा अमूल्य संसाधन है जिसको दुनिया के किसी भी बेशकीमती चीज से बराबरी नही कर सकते, बस जरूरत इस बात की है कि उस(मानव) अमूल्य संपदा की परवरिश सही
दिशा में हो, गतिशील एवं संवेदनशील हो और साथ ही परवरिस के दौरान ख़ास सावधानी बरती जाये। व्यक्ति जन्म लेता है तो वह एक खाली डब्बा मात्र है, हम उसमे जो भरेंगे,उसी अनुसार वो व्यक्ति बेशकीमती/कबाड़ा होगा, अब हमे ये फैसला करना है की हम अपने बच्चे को बेशकीमती बनाना चाहते है या कबाड़ा?
हर इंसान का अपना एक विशिष्ट व्यक्तित्व होता है, जन्म से मृत्युपर्यन्त, जिन्दगी के हर मुकाम पर उसकी अपनी समस्याएं और जरूरतें होती हैं। विकास की इस पेचीदा और गतिशील प्रक्रिया में शिक्षा अपना उत्प्रेरक योगदान दे सकें, इसके लिए बहुत सावधानी से योजना बनाने और उस पर पूरी लगन के साथ अमल करने की आवश्यकता है। बच्चो को पढाई प्रारम्भ करने से पूर्व ये पता होना चाहिए की वो क्या पढ़ रहा है, और क्यों पढ़ रहा है? इस पढ़ाई का उपयोग वो जीवन के किस हिस्से में कर पायेगा I अगर आप अपने बच्चो को अच्छी नौकरी पाने के लिए मन लगाकर पढने को बोलते है, तो आप बच्चे के साथ अन्याय कर रहे है I जिस बच्चे को ये पता ही नही है की उसे किस क्षेत्र में नौकरी करनी है, तो फिर वो किस विषय में मन लगाकर पढ़े ??
अब हमारे पाठ्यक्रम में दशवी तक सभी विषये पढाई जाती है, तो ऐसे में बच्चे किस विषय पर अत्यधिक ध्यान दे ?? अगर आप कहेंगे की हर विषय पर बराबर ध्यान दे तो आपकी ये गलती आपके बच्चे के उज्ज्वल भविष्य को बर्बाद कर देगा I अपने बच्चे के कमजोर क्षेत्र को लेकर चिंतित होने से बेहतर है अपने बच्चे के मजबूत क्षेत्र की पहचान कर खुश रहे I इसलिए अगर आप एक सचेत माता-पिता है तो आज ही अपने बच्चे के उस विशिष्ट क्षेत्र की पहचान करे, जिसमे में उसे अत्यधिक ध्यान देना है I अपने बच्चे की छुपी हुई प्रतिभा को वैज्ञानिक पद्धति से उजागर करने के लिए अभी संपर्क करे 9471818604, 9711139259