Thursday 2 August 2018

प्रेरणा v/s अनुशासन - राजेश अग्रवाल

लाइफ कोच  श्री  राजेश अग्रवाल जी 

प्रेरणा v / s अनुशासन : सफलता के क्षेत्र में किये गये  विभिन्न शोधों ने ये दिखाया है कि जो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में एक बड़ी ऊंचाई  को प्राप्त करते हैं, वह केवल अपनी प्रेरणा से अनुशासन का शिष्य रहा है। हालांकि यह बिल्कुल सच है कि प्रेरणा हर किसी के लिए आवश्यक है, यह भी सच है कि सफल होने में अनुशासन “प्रेरणा” से  बड़ी भूमिका निभाता है। प्रेरणा कई बार  अल्पकालिक होता है I  किसी भी प्रेरक प्रसंग को सुनकर कोई  व्यक्ति प्रेरित तो हो सकता है, लेकिन अपनी प्रेरणा को  बनाये रखने के लिए, उसको अनुशासन का छात्र होना चाहिए। प्रेरित व्यक्ति एक या दो दिनों के लिए कार्रवाई में देरी कर सकता है, लेकिन अनुशासित व्यक्ति जो मुसलाधार बारिस, तपती धूप और यहां तक ​​कि  कंपकपाती  ठंड में भी अपनी दैनिक कार्रवाई में देरी नहीं करता है। अनुशासित व्यक्ति कभी भी कार्रवाई में देरी नही करता या उसे टालता नही है ।  किसी भी व्यक्ति की अन्य कोई भी कौशल, रणनीति, टिप्स या तकनीकें तभी आपके काम आयेगी जब आप अनुशासित होंगे I हम में से बहुत से  लोग जो कई बार 1 जनवरी या नए साल पर ये  प्रतिज्ञा लेते हैं, की अब  अपनि आदतों में एक बदलाव लायंगे, लेकिन वे अनुशासन की कमी के कारण जल्दी  ही छोड़ देते हैं । इसलिए दोस्तों, अब हमे खुद के बारे में यह जांचने की जरुरत है कि हम केवल प्रेरित हैं, या हम अपने प्रत्येक गतिविधि में अनुशासित है I अगर हम सिर्फ प्रेरणात्मक बाते सुनते है, और उस अनुशासित तरीके से कारवाई नही करते है तो हम जभी सफल नही हो पाएंगे I एक सर्वेक्षण के अनुसार  प्रेरणात्मक सभा में शामिल होने वाले लोगो में से केवल 3% लोग अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करते हैं, क्योंकि वे अत्यधिक अनुशासित हैं। - राजेश अग्रवाल

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