पुपरी : शहर के सीताराम डी० ए० वी० पब्लिक स्कूल में सोमवार को डिस्कवर मल्टीप्ल टैलेंट के संस्थापक श्री आनन्द मोहन भारद्वाज द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया,जिसमे बच्चो को ये बताया की कैसे वो अपनी छुपी हुई प्रतिभा का सही जगह एवं पूरा पूरा इस्तेमाल करके अपने कम समय में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते है I उन्होंने ने आगे कहा की आज सक्सेस तो सभी चाहते हैं, लेकिन यह सबको मिलती कहां है? और मिले भी तो कैसे ?? जब लोग खुद उलटी दिशा में चल रहे है I लोग बस किसी तरह से सफल होना चाहते है , और उनकी सफलता की परिभाषा है उच्च शिक्षा के बाद आच्छी सी नौकरी और मोटी सैलरी... कई बार तो यह अच्छी एजुकेशन और पर्याप्त मेहनत के बाद भी नहीं मिलती। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोग अपने लिए गलत फील्ड डिसाइड कर लेते हैं। जब तक उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है, तब तक काफी देर हो जाती है और वे अपने कलीग्स से करियर की रेस में पीछे हो जाते हैं। इस सिचुएशन से बचने के लिए अपना गोल डिसाइड करने से लेकर सक्सेस मिलने तक हर कदम पर अपनी इंटेलिजेंस को यूज करें। अगर किसी भी कोर्स में नामांक लेने से पूर्व बच्चे अपनी दिमागी क्षमता से अवगत हो जाए तो वो कम से कम समय में अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है I अगर किसी बच्चे की रूचि है की नए जगह जाना , नए लोगो से मिलना और उनसे बात करना, तो ऐसे में उस बच्चे के किसी ऐसे क्षेत्र का चुनाव करना चाहिए जिसमे काम करते हुए वो अपनी रूचि को बरकरार रख सके, वो अपनी आदतों के अनुसार अपने नौकरी का आनंद ले सके I अब देश में एक ऐसी तकनीक आ गयी है जिससे हमे बहुत छोटी उम्र में ये पता चल जाता है की हमारी क्षमता और प्रतिभा किस क्षेत्र में प्रबल है, हम उसी क्षेत्र की तैयारी करे,जिस क्षेत्र में हम जन्मजात रुप से मजबूत है I इस तकनीक का नाम है DMIT, जो की हमारी छुपी हुई क्षमताओ को उजागर करता है I छात्र-छात्राओं को हताशा अथवा निराशा का शिकार होने से बचाने के लिए सर्वप्रथम छात्र-छात्राओं से यह पता किया जाता है कि किस तरह के विषय में उनकी रूचि है, तदनुसार ही उक्त क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों से उसे वाकिफ कराया जाता है ताकि बगैर किसी दबाव के कैरियर के चयन की स्वतंत्रता में स्वविवेक के भी पर्याप्त इस्तेमाल का मौका उन्हें मिल सके। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि मां-बाप अपने बेटे के आई.ए.एस. बनने का ख्वाब देखते है और उसी अनुसार उसकी शिक्षा पर भी बल देते है पर वह एक बिजनेंसमैन बनकर रह जाता है। कैरियर के चयन मे स्वतंत्रता न देने का ही यह नतीजा है कि उहापोह का शिकार छात्र कभी-कभार न घर का रह जाता है और न घाट का।
D.M.I.T द्वारा छात्र-छात्राओं की अभिरूचि जान लेने पर उन्हें स्वयं ‘कैरियर प्लान’ बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसा देखा गया है कि रूचि के किसी भी क्षेत्र विशेष में कैरियर बनाने की तमन्ना के विभिन्न रास्ते दिखा देने भर से ही छात्र-छात्राओं में उसे पूरा करने की इच्छा भी प्रबल होने लगती है। उनमें अनिर्णय जैसी स्थिति हर्गिज नहीं रहती तथा वे कैरियर विशेष के विभिन्न पहलुओं व विभिन्न रास्तों से परिचित होकर फैसला करने की स्थिति में होते हैं। अब और कंफ्यूज रहने की जरुरत नही है आज ही संपर्क करे हम आपको आपके जन्मजात प्रतिभा के आधार पर पर आपको करियर विकल्प देंगे जिसमें आप शीर्ष तक पहुँच सके । हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा व कैरियर में उनकी अभिरूचि ही नही बल्कि उनके जन्मजात प्रतिभा व क्षमता के अनुसार यह जानकारी देते है कि वे अपने देश में उपलब्ध व्यावसायिक अवसरों से किस तरह फायदा लेकर अपना भविष्य बना सकते हैं I कैरियर के चुनाव मे उधेड़बुन की स्थिति नहीं होनी चाहिए। फैसला बिल्कुल अपने लक्ष्य को केन्द्र में लेकर होना चाहिए। यदि आई.ए.एस. बनना है तो अपको किस रूचि के विषय को अपना कर आसानी से कामयाबी हासिल की जा सकती है, इसका चयन भी सर्वप्रथम अत्यावश्यक है।
सीताराम डी० ए० वी० पब्लिक स्कूल में बच्चो को DMIT की विशेषताओ से अवगत कराते हुए |
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