Monday 17 July 2017

हमारे बच्चों में अपने समाज एवं राष्ट्र तथा धर्म के प्रति .......



हमारे भारतवर्ष में हम यदि बच्चों का अवलोकन करें तो सबसे पहले ये ध्यान में आता है कि हमारे बच्चों में अपने समाज एवं राष्ट्र तथा धर्म के प्रति अभिमान का अत्यंत अभाव है । यदि यह स्थिति ऐसी ही रहती है तो राष्ट्र का विनाश होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा । अत: हमें बच्चों में राष्ट्र के प्रति स्वभिमान निर्माण करने हेतु प्रयास करने ही होंगे । राष्ट्र के नागरिकों की समरूपता तथा संगठन से राष्ट्र का अखंडत्व बना रहता है । आज के विद्यार्थी ही कल के भारत के भावी नागरिक होते हैं। इसलिए विद्यार्थिंयों में बचपन से ही प्रखर राष्ट्राभिमान निर्माण करना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा बडे होकर समाजके लिए अर्थात राष्ट्रके लिए त्याग करने की वृत्ति उनमें निर्माण नहीं हो सकती। वस्तुतः इतिहास विषय पढकर बच्चों में राष्ट्राभिमान निर्माण होना चाहिए था; परंतु हमारी शिक्षा पद्धति अंकों पर आधारित है । परीक्षाओं का मूल्य मापन अंकों के आधार पर किया जाता है । इसलिए बच्चों का ध्यान अंक वृद्धी की ओर ही होता है । वर्तमान में बच्चे अन्य विषयों के समान `इतिहास’ विषय केवल अंकों के लिए ही सीखते हैं, उदा. भगत सिंह विषय दस अंकोंके लिए । हमें बच्चों का इसके पीछे जो दृष्टिकोण है उसे ही परिवर्तित करना होगा । इतिहास अंकों के लिए न पढकर उससे उनमें राष्ट्रप्रेम निर्माण हो, इस दृष्टिसे उन्हें पढाना होगा एवं यही दृष्टिकोण पालक तथा शिक्षकों को बच्चोंको देना होगा । यदि भावी पीढी राष्ट्रप्रेमी नहीं होगी, तो राष्ट्रका अर्थात ही हमारा विनाश अटल है । आज हम अपने बच्चो को चॉइस नही चांस के आधार पर पढाई करने के लिए दबाव डालते है , जबकि हमें उनके जन्मजात बुद्धिमता व क्षमता के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए । आज जापान, अमेरिका, कनाडा जैसे देश अपने बच्चो को उनके प्रतिभा के अनुसार पढाई करने को प्रोत्साहित करते है, वही हमारे यहाँ पडोसी के बच्चे की देखा-देखि अपनों बच्चो का विषय चयन करते है। D.M.I.T की मदद से आप अपने बच्चे की जन्मजात प्रतिभाएं, कैरियर चयन और मस्तिष्क के विकास के कई पहलूओं के बारे में जान सकते हैं।
क्या आपने कभी स्वयं से यह प्रश्न पूछा है।;क्यों?“
एक जैसी उम्र।

एक ही क्लास।

वही टीचर।

वही किताबें।

वही पढाने का तरीका।

और परिणाम अलग-अलग।

फिर क्यों

कुछ बहुत अच्छे।

कुछ मध्यम।

और कुछ बहुत खराब।

विद्यार्थी।

हमारे पास आपके इन सब क्यों का जवाब है।

किसी को प्रतिभावान बनाया नहीं जा सकता, लेकिन प्रतिभाओं को किसी भी इंसान के अंदर से खोज कर निकाला जा सकता है।

हर कोई प्रतिभाशाली है, जब वह सही स्थिति (दिशा) में हैं।

सभी बच्चे पैदायशी प्रतिभाशाली होते हैं।।

प्रतिभा की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग प्रकार से होती है। और फिर दुविधा का सामना होता है ………

अब आप भी अपने और अपने बच्चे का जन्मजात बुद्धिमता और प्रतिभा जान सकते है वो भी सिर्फ १ घंटे में अधिक जानकारी के लिए कॉल करे 9871949259


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